
Saturday, May 31, 2008
रानी मुख़र्जी का थोरा प्यार और थोरा मजिक

रानी मुख़र्जी का नया फ़िल्म 27 जून को पर्दार्षित होने जा रही है, इस फ़िल्म मे वो परी का रोल निभाने वाली है और इस फिल्म मे रानी के साथ सैफ है, कहा जाता है की रानी और सैफ का आपस मे नही पटती है लेकिन सूटिंग के दौरान दोनों को साथ साथ मिलकर ही चलना पड़ेगा ना ।
रानी मुखर्जी को अब फिल्मी पार्टी और बिना मतलब के समारोह मे जाना पसंद नही और वो वही जाना पसंद करती है जहा रानी को जाना बहुत जरुरी होता है, इस वजह से वो ज्यादा चर्चा मे नही होती है , ये तो अच्छा ही है को वो अपने को बिल्कुल कंट्रोल मे रखी है
बिपासा भी मौसम के badlaw से paresaan

खैर जो भी हो इससे नुकसान तो बिपासा के हेल्त पर हो रहा है , इन दिनों बिपासा को अपने सूटिंग मे अलग अलग मौसम का सामना करना पड़ रहा है, सबसे पहले इटली मे बचना ऐ हसीनो की सूटिंग पे जबरजस्त ठंड को झेल चुकी फ़िर फ्रीज के सूटिंग मे गर्मी का सामना हो गया।
इन परेसनियो के वजह से अब बिपासा म मन नही लग रहा है सूटिंग पे और सायद सभी ऐक्टर और actress को इन परेसानियो का सामना करना पड़ रहा है
Sophi Coudhary भी businessmen के talash मे

इसका सबसे अच्छा उदाहरण प्रीति जिंटा का दिया जा सकता है जिसके पास नेस वाडिया जैसा मालदार उद्योगपति ब्वायफ्रैंड है। लगता है सोफी चौधरी भी प्रीति की राह पर चल रही है। सोफी का भी उद्योगपति संजय हिंदुजा से गहरा रोमांस चल रहा है। दोनो आजकल एक साथ दिखाई दे रहे हैं। यही नहीं हिंदुजा की पार्टियों में सोफी अकसर नजर आती है। बताया जाता है कि दोनो एक दूसरे को पसंद करते हैं लेकिन सार्वजनिक रुप से इज़हार नहीं कर रहे हैं। लेकिन एक पार्टी में लोगों ने उन्हें हाथ में हाथ डाले हुए देखा। वे दोनो एक दूसरे से काफी घुले मिले नजर आ रहे थे।
हिंदुजा मुंबई आकर अपना ज्यादातर समय सोफी को देते हैं और सोफी भी हिंदुजा के परिवार के अन्य सदस्यों से घुली मिली है। देरी है तो बस शहनाई बजने की।
Monday, May 26, 2008
शहीद कपूर का दीवाना अब बच्चे भी

हुआ यूं कि शाहिद स्कूल में शूटिंग कर रहे थे। स्कूल के बच्चों के विश्राम के लिए जैसे ही घंटी बजी, लगभग दो सौ बच्चे अपने इस चहेते स्टार से मिलने के लिए आ गये। शाहिद उस समय शूटिंग कर रहे थे, इसलिए वे बच्चॉं से तुरंत नहीं मिल पाये।
मजे की बात यह है कि जो बच्चे अपनी शिक्षक और शिक्षिकाओं की बात न मानकर अपनी कक्षाओं में नहीं जा रहे थे, वे शाहिद के अनुरोध पर चले गये।
इस पर बच्चे शाहिद से मिलने के लिए धैर्यपूर्वक उसका इंतजार करने लगे। शाहिद को जैसे ही फुरसत मिली वे बच्चों के बीच आये। बच्चे उनसे मिकर बहुत खुश हुए और शाहिद से बातचीत करने के लिए उनके बीच होड मच गई।
बच्चे शाहिद से मिलने के लिए इतने बैचेन थे कि वे कक्षाओं में भी नहीं जा रहे थे। स्कूल के शिक्षकों ने जब बच्चों को कक्षाओं में जाने को कहा तो बच्चे मानने को तैयार ही नहीं हुए। लेकिन जब शाहिद ने बच्चों को प्यार से समझाकर कक्षाओं में जाने को कहा तो बच्चे शाहिद का कहना मान गये और बेमन से ही सही अपनी अपनी कक्षाओं में चले गये। इसे कहते हैं शाहिद का जादू।
मजे की बात यह है कि जो बच्चे अपनी शिक्षक और शिक्षिकाओं की बात न मानकर अपनी कक्षाओं में नहीं जा रहे थे, वे शाहिद के अनुरोध पर चले गये।
इस पर बच्चे शाहिद से मिलने के लिए धैर्यपूर्वक उसका इंतजार करने लगे। शाहिद को जैसे ही फुरसत मिली वे बच्चों के बीच आये। बच्चे उनसे मिकर बहुत खुश हुए और शाहिद से बातचीत करने के लिए उनके बीच होड मच गई।
बच्चे शाहिद से मिलने के लिए इतने बैचेन थे कि वे कक्षाओं में भी नहीं जा रहे थे। स्कूल के शिक्षकों ने जब बच्चों को कक्षाओं में जाने को कहा तो बच्चे मानने को तैयार ही नहीं हुए। लेकिन जब शाहिद ने बच्चों को प्यार से समझाकर कक्षाओं में जाने को कहा तो बच्चे शाहिद का कहना मान गये और बेमन से ही सही अपनी अपनी कक्षाओं में चले गये। इसे कहते हैं शाहिद का जादू।